उत्तराखंड में HIV मामलों में चिंताजनक वृद्धि: हल्द्वानी के अस्पताल में 15 महीनों में 477 नए मामले

चकराता टाइम्स समाचार: उत्तराखंड के हल्द्वानी स्थित डॉ. सुशीला तिवारी सरकारी अस्पताल में एचआईवी के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है, जिसने स्वास्थ्य अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन को चिंता में डाल दिया है। पिछले 15 महीनों में इस अस्पताल में 477 नए एचआईवी पॉजिटिव मामले सामने आए हैं, जिनमें से 43 मामले केवल पिछले महीने यानी मार्च 2025 में दर्ज किए गए हैं। अधिकारियों ने इसे एक “चिंताजनक प्रवृत्ति” करार देते हुए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया है।

डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल, जो कुमाऊं क्षेत्र का एक प्रमुख स्वास्थ्य केंद्र है, में एचआईवी के बढ़ते मामलों ने इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए मौजूदा प्रयासों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन मामलों की संख्या में अचानक उछाल कई कारणों से हो सकता है, जिसमें जागरूकता की कमी, असुरक्षित व्यवहार और नशे के इंजेक्शन का बढ़ता उपयोग शामिल हो सकता है। उन्होंने कहा, “यह स्थिति गंभीर है और हमें इसके मूल कारणों की जांच करनी होगी ताकि प्रभावी रोकथाम के उपाय किए जा सकें।”

पिछले महीने दर्ज हुए 43 मामलों ने इस समस्या की गंभीरता को और उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंकड़ा केवल एक अस्पताल का है, और पूरे राज्य में स्थिति इससे भी गंभीर हो सकती है। स्थानीय निवासियों में भी इस खबर से चिंता फैल गई है। एक मरीज के परिजन ने कहा, “हमें नहीं पता था कि यह बीमारी इतनी तेजी से फैल रही है। सरकार को जागरूकता अभियान चलाने चाहिए ताकि लोग सावधानी बरत सकें।”

स्वास्थ्य विभाग ने इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए जांच और परामर्श सेवाओं को तेज करने का फैसला किया है। साथ ही, एचआईवी के प्रसार को रोकने के लिए स्कूलों, कॉलेजों और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई जा रही है। अधिकारियों ने यह भी संकेत दिया कि नशे की लत और असुरक्षित यौन संबंधों को रोकने के लिए विशेष अभियान चलाए जा सकते हैं।

उत्तराखंड में पहले भी एचआईवी के मामले सामने आए हैं, लेकिन हाल के महीनों में इसकी संख्या में हुई वृद्धि ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो यह एक बड़े स्वास्थ्य संकट में बदल सकता है। फिलहाल, डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल में प्रभावित मरीजों को उचित इलाज और सहायता प्रदान की जा रही है, लेकिन इस चिंताजनक प्रवृत्ति को रोकने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयासों की जरूरत है।

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